NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 4 कठपुतली
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कठपुतली
पाठ्यपुस्तक प्रश्न अभ्यास
कविता से
प्रश्न 1. कठपुतली को गुस्सा क्यों आया?
उत्तर- कठपुतली को गुस्सा आया क्योंकि उसे हमेशा दूसरों के कहने (इशारों) पर नाचना होता है। और वह लंबे अर्से से धागे में बँधी है। वह अपने पैरों पर खड़ा होकर आत्मनिर्भर बनना चाहती है। वह एक धागे में बंधे होने पर पराधीनता महसूस कराती है, इसलिए वह क्रोधित हो जाती है।
प्रश्न 2. कठपुतली अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती है, लेकिन खड़ी क्यों नहीं होती? [Imp.]
उत्तर- कठपुतली स्वतंत्र रूप से अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती है लेकिन खड़ी नहीं होती क्योंकि वह डरती है जब वह सभी कठपुतलियों की स्वतंत्रता की जिम्मेदारी लेती है। उसे लगता है कि कहीं उसका उठाया गया कदम सबको मुश्किल में न डाल दे।
प्रश्न 3. दूसरी कठपुतली को पहली कठपुतली के शब्द क्यों पसंद आए?
उत्तर- पहली कठपुतली अन्य कठपुतलियों से बहुत अच्छी तरह बोलती थी क्योंकि वे भी स्वतंत्र होकर अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती थीं। वह उठना चाहती थी, वह अपनी मनमर्जी से चलना चाहती थी। कोई भी पराधीन होना पसंद नहीं करता है। यही कारण था कि वह पहली कठपुतली के बात से सहमत थी।
प्रश्न 4. पहली कठपुतली ने खुद कहा- ‘ये धागे मेरे पीछे क्यों हैं? / इन्हें तोड़ दो; / मुझे मेरे चरणों में छोड़ दो। ‘- फिर उसे यह चिंता क्यों हुई कि-‘ मेरी इच्छा क्या है? ‘कृपया नीचे दिए गए वाक्यों की सहायता से अपने विचार व्यक्त करें।
वह अन्य कठपुतलियों की जिम्मेदारी महसूस करने लगा।
उसे शीघ्र स्वतंत्र होने की चिंता होने लगी।
वह स्वतंत्रता की इच्छा को साकार करने और हमेशा के लिए स्वतंत्रता बने रखने के तरीकों के बारे में सोचने लगी।
वह डर गई, क्योंकि उसकी उम्र कम थी।
उत्तर- पहली कठपुतली गुलामी की जिंदगी जीते-जीते दुखी हो गई। धागे से बंधी कठपुतली दूसरों के कहने पर नाचने को अपना जीवन मानती है, लेकिन एक बार एक कठपुतली विद्रोह कर देती है।
उसके मन मे शीघ्र ही स्वतंत्र होने की इच्छा जगाने लगी, इसलिए उसने स्वतंत्रता की इच्छा व्यक्त की, लेकिन सभी कठपुतलियों ने उसके हाँ में हाँ मिलाने लगी और उसके नेतृत्व में विद्रोह की तैयारी की, लेकिन जब उसे अन्य कठपुतलियों की जिम्मेदारी मिली, तो उसे एहसास हुआ तो वह डर गई उसे ऐसा लगने लगा न जाने स्वतंत्रता का जीवन भी कैसा होगा? यही कारण था कि पहली कठपुतली चिंता करने लगी और अपने निर्णय के बारे में सोचने लगी।
कविता से आगे
प्रश्न 1. बहुत दिन हुए / हमें अपने मन के छंद छुए।’-इस पंक्ति का अर्थ और क्या हो सकता है? नीचे दिए हुए वाक्यों की सहायता से सोचिए और अर्थ लिखिए-
(क) बहुत दिन हो गए, मन में कोई उमंग नहीं आई।
(ख) बहुत समय हो गया है, मन में कविता जैसा कुछ नहीं है, जिसमें छंद, लय हो।
(ग) बहुत समय हो गया है, गाने बजाने का मन नहीं कर रहा है।
(घ) बहुत समय हो गया है, मन की उदासी दूर नहीं हुई है, न ही मन में कोई सुख आया है।
उत्तर- मन के श्लोकों को छूए हुए हमें बहुत समय हो गया है ‘मतलब मन की उदासी दूर नहीं हुई है, न ही मेरा दिल खुश हुआ है, यानी कठपुतली पराधीनता से बहुत दुखी हैं। कि वे अपने मन की इच्छा को नहीं जानते। पहले कठपुतली ने कहा कि उसे आजादी का शौक है।
प्रश्न 2. नीचे दो स्वतंत्रता आंदोलनों के वर्ष दिए गए हैं। इन दो आंदोलनों के दो स्वतंत्रता सेनानियों के नाम लिखिए।
(क) 1857 ____ ____।
(ख) 1942 ____ ____।
उत्तर-
(क) 1857 – 1. महारानी लक्ष्मीबाई, 2. मंगल पांडे।
(ख) 1942 – 1. महात्मा गांधी, 2. जवाहरलाल नेहरू।
अनुमान लगाओ और कल्पना करो।
प्रश्न 1. स्वतंत्र होने की लड़ाई कठपुतलियाँ कैसे लड़ी होंगी और स्वतंत्र होने के बाद स्वावलंबी होने के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए होंगे? यदि उन्हें फिर से धागे में बाँधकर नचाने के प्रयास हुए होंगे तब उन्होंने अपनी रक्षा किस तरह के उपायों से की होगी?
उत्तर- कठपुतलियों ने स्वतंत्र होने के लिए एक साथ संघर्ष किया होगा क्योंकि उन सभी की एक ही समस्या थी और सभी एक ही धागे से मुक्ति चाहते थे। पहले सभी कठपुतलियों से सलाह ली होगी।
उन्होंने स्वतंत्र होने के बाद स्वावलंबी बनने के लिए बहुत संघर्ष किया होगा। अपने पैरों पर खड़े होने के लिए बहुत मेहनत की होगी। रहने, खाने, पीने, रहने की अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दिन-रात काम किया होगा।
अगर फिर भी उन्हें एक धागे में बांधकर नाचने की कोशिश की जाती तो वे एकजुट होकर इसका विरोध करते, क्योंकि गुलामी में सभी सुखों के बावजूद, हर कोई स्वतंत्र होना पसंद करता है। सामूहिक प्रयासों से वे दुश्मन की हर हरकत को नाकाम कर देंगे। इस तरह, उन्होंने अपनी स्वतंत्रता बनाए रखी होगी।
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भाषा वार्ता
प्रश्न 1. कभी-कभी जब दो शब्दों को आपस में मिला दिया जाता है, तो उनका मूल रूप बदल जाता है। कठपुतली शब्द में भी इस प्रकार का सामान्य परिवर्तन हुआ है। जब काठ और पुतली दो शब्द एक साथ हुए कठपुतली शब्द बन गया और इससे बोलने में सरलता आ गई। कुछ शब्द बनाओ जैसे— जैसे-काठ (कठ) से बना-कठगुलाब, कठफोड़ा।
उत्तर-
हाथ और करघा = हथकरघा,
हाथ और कड़ी = हथकड़ी,
सोन और परी = सोनपरी,
मिट्टी और कोड = मटकोड, मटमैला,
हाथ और गोला = हथगोला,
सोन और जुही = सोनजुही।
प्रश्न 2. कविता की भाषा में लय या तालमेल बनाने के लिए प्रचलित शब्दों और वाक्यों में बदलाव होता है। जैसे-आगे-पीछे अधिक प्रचलिते शब्दों की जोड़ी है, लेकिन कविता में ‘पीछे-आगे’ का प्रयोग हुआ है।
यहाँ ‘आगे’ का ‘…बोली ये धागे’ से ध्वनि का तालमेल है। इस प्रकार के शब्दों की जोड़ियों में आप भी परिवर्तन कीजिए-दुबला-पतला, इधर-उधर, ऊपर-नीचे, दाएँ-बाएँ, गोरा-काला, लाल-पीला आदि।
उत्तर- पतला-दुबला, इधर-उधर, नीचे-ऊपर, काला-गोरा, बाएँ-दाएँ, उधर-इधर आदि
बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर
(क) कठपुतली कविता के रचयिता हैं
(i) मैथलीशरण गुप्त
(ii) भवानी प्रसाद मिश्र
(iii) सुमित्रानंदन पंत
(iv) सुभद्रा कुमारी चौहान
(ख) कठपुतली को किस बात का दुख था?
(i) हरदम हँसने का
(ii) दूसरों के इशारे पर नाचने का
(iii) हरदम खेलने का
(iv) हरदम धागा खींचने का।
(ग) कठपुतली के मन में कौन-सी इच्छा जागी?
(i) मस्ती करने की
(ii) खेलने की
(iii) आज़ाद होने की
(iv) नाचने की
(घ) पहली कठपुतली ने दूसरी कठपुतली से क्या कहा?
(i) स्वतंत्र होने के लिए।
(ii) अपने पैरों पर खड़े होने के लिए।
(iii) बंधन से मुक्त होने के लिए 106
(iv) उपर्युक्त सभी
(ङ) कठपुतलियों को किनसे परेशानी थी?
(i) गुस्से से
(ii) पाँवों से
(iii) धागों से
(iv) उपर्युक्त सभी से
(च) कठपुतली ने अपनी इच्छा प्रकट की|
(i) हर्षपूर्वक
(ii) विनम्रतापूर्वक
(iii) क्रोधपूर्वक
(iv) व्यथापूर्वक
(छ) कठपुतली गुस्से से क्यों उबल पड़ी
(i) वह आजाद होना चाहती थी
(ii) वह खेलना चाहती थी
(iii) वह पराधीनता से परेशान थी
(iv) उपर्युक्त सभी
(ज) “पाँवों को छोड़ देने का’ को अर्थ है
(i) सहारा देना
(ii) स्वतंत्र कर देना
(iii) आश्रयहीन कर देना
(iv) पैरों से सहारा हटा देना
उत्तर
(क) (ii)
(ख) (ii)
(ग) (iii)
(घ) (iv)
(ङ) (iii)
(च) (iii)
(छ) (iii)
(ज) (ii)
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
(क) कठपुतली को धागे में क्यों बांधा जाता है?
उत्तर- कठपुतली को एक धागे में बांधा जाता है ताकि अपनी उँगलियों के इशारों पर उसे नृत्य करवाए जा सके।
(ख) कठपुतलियाँ किसका प्रतीक हैं?
उत्तर- कठपुतली ‘आम आदमी’ का प्रतीक है ताकि वे अपनी मर्जी से जीवन जी सकें।
(ग) कवि ‘कठपुतली’ कविता के माध्यम से क्या संदेश देना चाहता है?
उत्तर- कठपुतली कविता के माध्यम से कवि यह दिखाना चाहता है कि स्वतंत्रता का हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान है। पराधीनता व्यक्ति को व्यथित कर देती है। इसलिए, स्वतंत्र होना और इसे बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है, भले ही यह कठिन हो।
संक्षिप्त उत्तर प्रश्न
(क) कठपुतली को गुस्सा क्यों आता है?
उत्तर – कठपुतली को क्रोध आता है क्योंकि उसे धागे से बांधा जाता है। वह इसे बंधन से तंग आ गई थी। वह मुक्त होना चाहती थी। वह अपने दम पर जीना चाहती थी।
(ख) अन्य कठपुतलियों को पहली कठपुतली के शब्द क्यों पसंद आए?
उत्तर- बेशक, पहले कठपुतलियों को सुनने से बाकी कठपुतलियाँ को अच्छी लगतीं। किसी पर निर्भर रहना पसंद नहीं करते। हर कोई स्वतंत्र होना चाहता है। हर कोई अपनी मर्जी से काम करना चाहता है।
कठपुतली को धागे में बांधना और दूसरों की मर्जी से नाचना किसी को पसंद नहीं था। यही कारण था कि पहली कठपुतली की बात दूसरी कठपुतली को अच्छी लगी होगी।
(ग) आप किस कठपुतली को विद्रोही मानते थे?
उत्तर- हमारी राय में, सबसे छोटी कठपुतली ने आजादी के लिए विरोध किया होगा क्योंकि केवल नई पीढ़ी हमेशा बदलाव चाहती है। शायद इसी भावना से प्रेरित होकर उन्होंने अपनी बेड़ियों को तोड़कर आत्मनिर्भर बनने की कोशिश की होगी।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
(क) कवि इस कविता के माध्यम से क्या कहना चाहता है?
उत्तर- इस कविता के माध्यम से कवि ने स्वतंत्रता के महत्व को समझाने का प्रयास किया है। इसमें कवि ने यह समझाने की कोशिश की है कि हमें स्वतंत्रता के साथ आने वाली जिम्मेदारियों को महसूस करना चाहिए।
आज़ाद रहना हर किसी को पसंद होता है, लेकिन आज़ादी का सही इस्तेमाल कुछ ही लोग कर पाते हैं। इतना ही नहीं आज़ाद होने पर व्यक्ति को आत्मनिर्भर होना पड़ता है।
आजादी के बाद हम अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं रह सकते। इसलिए आजादी के बाद आत्मनिर्भर होना जरूरी है। साथ ही, अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए प्रयास करते रहना चाहिए।
मूल्यपरक प्रश्न
(क) क्या आप दूसरों के इशारों पर काम करने का आनंद लेते हैं? इसका उचित उत्तर दें।
उत्तर- कभी नहीं, हम दूसरों के निर्देशों का पालन करना बिल्कुल भी पसंद नहीं करते हैं। यह हमारी स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है, साथ ही प्रत्येक स्वाभिमानी व्यक्ति के विचारों के विपरीत है।
इसलिए स्वाभिमानी लोग अपनी शर्तों पर खुलकर जीना पसंद करते हैं। इसलिए हम दूसरों के इशारों पर काम करना पसंद नहीं करते।
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