Class 10 Sanskrit Chapter 1 Questions Answer  

Class 10 Sanskrit Chapter 1 Questions Answer

प्रथमः पाठः शुचिपर्यावरणम्  (पवित्र/शुद्ध पर्यावरण) कवि हरिदत्त शर्मा

पाठ परिचय- प्रस्तुत पाठ आधुनिक संस्कृत कवि हरिदत्त शर्मा के रचना संग्रह ‘लसल्लतिका’ से संकलित है। इसमें कवि ने महानगरों की यान्त्रिक-बहुलता से बढ़ते प्रदूषण पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा है कि यह लौहचक्र तनमन का शोषक है, जिससे वायुमण्डल और भूमण्डल दोनों मलिन हो रहे हैं।

कवि महानगरीय जीवन से दूर, नदीनिर्झर, वृक्षसमूह, लताकुञ्ज एवं पक्षियों से गुजित वन-प्रदेशों की ओर चलने की अभिलाषा व्यक्त करता है।

शुचिपर्यावरणम् पाठ के प्रश्न उत्तर Class 10 Sanskrit Chapter 1 Questions Answer

पाठ्यपुस्तकस्य प्रश्नोत्तराणि Sanskrit Chapter 1 Class 10

प्रश्न 1. एकपदेन उत्तरं लिखत

(क) अत्र जीवितं कीदृशं जातम्?

उत्तरम्- दुवहम्।

(ख) अनिशं महानगरमध्ये किं प्रचलति?

उत्तरम्- कालायसचक्रम्।

(ग) कुत्सितवस्तुमिश्रितं किमस्ति?

उत्तरम्- भक्ष्यम्।

(घ) अहं कस्मै जीवनं कामये?

उत्तरम्- मानवाय।

(ङ) केषां माला रमणीया?

उत्तरम्- हरिततरूणां ललितलतानाम्।

Read Also- Class 10 Sanskrit Chapter 1 Hindi translation

प्रश्न 2. अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत-

(क) कविः किमर्थं प्रकृतेः शरणम् इच्छति?

(कवि किसलिए प्रकृति की शरण चाहता है?)

उत्तरम्- अत्र महानगरे जीवितं दुर्वहं जातम्, अतः कविः प्रकृतेः शरणम् इच्छति।

(यहाँ महानगर में जीवन कठिना/दूभर हो गया है, इसलिए कवि प्रकृति की शरण चाहता है।)

(ख) कस्मात् कारणात् महानगरेषु संसरणं कठिनं वर्तते?

(किस कारण से महानगरों में चलना कठिन है?)

उत्तरम्- महानगरेषु धूमं मुञ्चन्ती कोलाहलं च वितरन्ती अनन्ताः यानानां पङ्क्तयः सन्ति, अस्मात् कारणात् तत्र संसरणं कठिनं वर्तते।

(महानगरों में धुआं छोड़ती हुई और कोलाहल करती हुई अनन्त वाहनों की कतारें हैं, इसलिए वहाँ चलना कठिन है।)

(ग) अस्माकं पर्यावरणे किं किं दूषितम् अस्ति?

(हमारे पर्यावरण में क्या-क्या दूषित हैं?)

उत्तरम्- अस्माकं पर्यावरणे वायुमण्डलम्, जलम, भक्ष्यम् सम्पूर्णञ्च धरातलं दूषितम् अस्ति।

(हमारे पर्यावरण में वायुमण्डल, जल, खाने योग्य वस्तुएँ और सम्पूर्ण पृथ्वी ही दूषित है।)

(घ) कविः कुत्र सञ्चरणं कर्तुम् इच्छति?

(कवि कहाँ चलना चाहता है?)

उत्तरम्- कषिः ग्रामाते एकान्ते कान्तारे सम्परणं कर्तुम् इच्छति।

(कवि गाँव के बाहर एकान्त वन में चलना चाहता है।)

(ङ) स्वस्थजीवनाय कीदृशे वातावरणे भ्रमणीयम्?

(स्वस्थ जीवन के लिए किस प्रकार के वातावरण में भ्रमण करना चाहिए?)

उत्तरम्- स्वस्थजीवनाय शुद्धवातावरणे भ्रमणीयम्।

(स्वस्थ जीवन के लिए शुद्ध वातावरण में भ्रमण करना चाहिए।)

(च) अन्तिमे पद्यांशे कवेः का कामना अस्ति?

(अन्तिम पद्य में कवि की क्या कामना है)

उत्तरम्- अन्तिम पर्याशे कविः मानवाय जीवनस्य कामना करोति।

(अन्तिम पद्य में कवि ने मानव के लिए जीवन की कामना की है।)

प्रश्न 3. सन्धि/सन्धिविच्छेदं कुरुत-

उत्तरम्-

(क) प्रकृतिः + एव  प्रकृतिरेव
(ख) स्यात् + न  + एव  स्यान्नैव
(ग) हि +  अनन्ताः   ह्यनन्ताः
(घ) बहिः अन्तः + जगति  बहिरन्तर्जगति
(ङ) अस्मात् + नगरात्  अस्मान्नगरात्
(च) सम् + चरणम्  सञ्चरणम्
(छ) धूमम + मुञ्चति  धूमं मुञ्चति

प्रश्न 4. अधोलिखितानाम् अव्ययानां सहायतया रिक्तस्थानानि पूरयत-

भृशम,  यत्र,  तत्र,  अत्र,  अपि,  एव,  सदा,  बहिः।

(क) इदानी वायुमण्डलं………………… प्रदुषितमस्ति।

(ख) ……………….. जीवनं दुर्वहम् अस्ति।

(ग) प्राकृतिक वातावरणे क्षणं सचरणम् ……………….. लाभदायकं भवति।

(घ) पर्यावरणस्य संरक्षणम् ……………….. प्रकृतेः आराधना।

(ङ) ……………… समयस्य सदुपयोगः करणीयः।

(च) भूकम्पित-समये………………. गमनमेव उचितं भवति।

(छ) ……………….. हरीतिमा ……………….. शुचि पर्यावरणम् ।

उत्तरम्-

(क) इदानी वायुमण्डलं भृशम् प्रदूषितमस्ति।

(ख) अत्र जीवनं दुर्वहम् अस्ति।

(ग) प्राकृतिक वातावरणे क्षणं सञ्चरणम् अपि लाभदायकं भवति।

(घ) पर्यावरणस्य संरक्षणम् एव प्रकृतेः आराधना।

(ङ)  सदा समयस्य सदुपयोगः करणीयः।

(च) भूकम्पित-समये बहिः गमनमेव उचितं भवति।

(छ) यत्र हरीतिमा तत्र शुचि पर्यावरणम्।

प्रश्न 5. (अ) अधोलिखितानां पदानां पर्यायपदं लिखत

(क) सलिलम् …………..

(ख) आम्रम् ……………….

(ग) वनम् ………………….

(घ) शरीरम् ………………

(अ) कुटिलम  ……………..

(च) पाषाणः ………….

उत्तरम्-

(क) सलिलम्    जलम्
(ख) आम्रम्     रसालम्
(ग) वनम्      काननम्
(घ) शरीरम्    तनुः
(3) कुटिलम्     वक्रम्
(च) पाषाणः  प्रस्तरमः

(आ) अधोलिखितपदानां विलोमपदानि पाठात् चित्वा लिखत-

(क) सुकरम् ………..

(ख) दूषितम्  ……………

(ग) गृहणन्ती …………….

(घ) निर्मलम् ……………….

(ङ) दानवाय ………………..

(च) सान्ताः ……………..

उत्तरम्-

(क) सुकरम्   दुर्वहम्
(ख) दूषितम्    भूषितम्
(ग) गृहणन्ती    वितरन्ती
(घ) निर्मलम्     समलम्
(ङ) दानवाय   मानवाय
(च) सान्ताः     अनन्ता

प्रश्न 6. उदाहरणममुसृत्य पाठात् चित्वा च समस्तपदानि समासनाम च लिखत-

यथा-  विग्रह पदानि      समस्तपदम्    समासनाम

उत्तरम्-

(क) मलेन सहितम्   

समस्तपदम्  –   समलम्

समासनाम  –    अव्ययीभाव

(ख) हरिता: च ये लरवः (तेषां)

समस्तपदम्  –    हरिततरूणाम्

समासनाम  – कर्मधारय

(ग) ललिताः च या: लताः (तासाम्)   

समस्तपदम्   –   ललितलतानाम्

समासनाम  –  कर्मधारय

(घ) नवा मालिका                                    

समस्तपदम्   –    नवमालिका

समासनाम  –  कर्मधारय

(ङ) धृतः सुखसन्देश: येन (तम्)          

समस्तपदम्   –     धृतसुखसन्देशम्

समासनाम  –  बहुव्रीहि

(च) कज्जलम् इव मलिनम्                  

समस्तपदम्   –     कज्जलमलिनम्

समासनाम   –  कर्मधारय

(छ) दुर्दान्तैः  दशनैः                               

समस्तपदम्  –   दुर्दान्तदशनैः

समासनाम  –  र्मधारय

प्रश्न 7. रेखाकित-पदमाधृत्य प्रश्ननिर्मार्ण कुरुत-

() शकटीयानम् कज्जलमलिनं धर्म मुञ्चति।

() उद्याने पक्षिणां कलरवं चेतः प्रसादयति।

() पाषाणीसभ्यतायां लतातरुगुल्माः प्रस्तरतले पिष्टाः सन्ति।

() महानगरेषु वाहनानाम् अनन्ताः पङ्क्तयः धायन्ति

(ङ) प्रकृत्याः सन्निधी वास्तविक सुखं विद्यते

उत्तरम- प्रश्ननिर्माणम्

(क) शकटीयानम् कीदृर्श धर्म मुञ्चति?

(ख) उद्याने केषां कलरव चेतः प्रसादयति?

(ग) पाषाणीसभ्यतायां के प्रस्तरतले पिष्टाः सन्ति?

(घ) कुत्र बाहनानाम् अनन्ताः पङ्क्तयः थावन्ति?

(ङ) कस्याः सन्निधौ वास्तविकं सुखं विद्यते?

योग्यताविस्तारः NCERT Solutions for Class 10 Sanskrit Chapter 1

समास- समसनं समासः

समास का शाब्दिक अर्थ होता है- संक्षेप। दो या दो से अधिक शब्दों के मिलने से जो नया और संक्षिप्त रूप बनता है वह समास कहलाता है। समास के मुख्यतः चार भेद हैं-

(1) अव्ययीभाव समास

(2) तत्पुरुष

(3) बहुब्रीहि

(4) द्वंद्व

(1) अव्ययीभाव समास– इस समास में पहला पद अव्यय होता है और वही प्रधान होता है और समस्तपद अव्यय बन जाता है।

यथा- निर्मक्षिकम- मक्षिकाणाम् अभावः।

यहाँ प्रथम  पद निर है और द्वितीयपद मक्षिका है। यहाँ मक्षिका की प्रधानता न होकर मक्षिका का अभाव प्रधान है, अतः यहाँ अव्ययीभाव समास है। कुछ अन्य उदाहरण देखें-

(i) उपग्रामम् – ग्रामस्य समीपे – (समीपता की प्रधानता)

(ii) निर्जनम् – जनानाम् अभावः – (अभाव की प्रधानता)

(iii) अनुरथम् – रथस्य पश्चात् – (पश्चात् की प्रधानता)

(iv) प्रतिगृहम् – गृहं गृहं प्रति – (प्रत्येक की प्रधानता)

(v) यथाशक्ति – शक्तिम् अनतिक्रम्य – (सीमा की प्रधानता)

(vi) सचक्रम् चक्रेण सहितम् – (सहित की प्रधानता)

(2) तत्पुरुष- ‘प्रायेण उत्तरपदप्रधानः तत्पुरुषः’- ‘इस समास में प्रायः उत्तरपद की प्रधानता होती है और पूर्व पद उत्तरपद के विशेषण का कार्य करता है। समस्तपद में पूर्वपद की विभक्ति का लोप हो जाता है।यथा- राजपुरुषः अर्थात् राजा का पुरुष। यहाँ राजा की प्रधानता नहोकर पुरुष की प्रधानता है।

(i) ग्रामगतः    ग्रामं गतः।
(ii) शरणागतः   शरणम् आगतः।
(iii) सिंहभीतः  सिंहात् भीतः।
(iv) भयापन्नः   भयम् आपन्नः।
(v) हरित्रातः   हरिणा त्रातः।

तत्पुरुष समास के दो प्रमुख भेद हैं- कर्मधारय और द्विगु।

(i) कर्मधारय- इस समास में एक पद विशेष्य तथा दूसरा पद पहले पद का विशेषण होता है। विशेषण विशष्य भाव के अतिरिक्त उपमान उपमेय भाव भी कर्मधारय समास का लक्षण है।

यथा-

पिताम्बरम्    पीतं च तत् अम्बरम्।
महापुरुषः    महान् च असौ पुरुषः।
कज्जलमलिनम्   कज्जलम् इव मलिनम्।
नीलकमलम्       नीलं च तत् कमलम्।
मीननयनम् मीन इव नयनम्।
मुखकमलम्    कमलम् इव मुखम्।

(ii) द्विगु- ‘संख्यापूर्वो द्विगुः’ इस समास में पहला पद संख्यावाची होता है और समाहार (एकत्रीकरण या समूह) अर्थ की प्रधानता होती है।

यथा-

त्रिभुजम् त्रयाणां भुजानां समाहारः। इसमें पूर्वपद ‘त्रि’ संख्यावाची है।
पंचपात्रम्    पंचानां पात्राणां समाहारः।
पंचवटी   पंचानां वटानां समाहारः।
सप्तर्षिः    सप्तानां ऋषीणां समाहारः।
चतुर्युगम् चतुर्णा युगानां समाहारः ।

(3) बहुब्रीहि- ‘अन्यपदप्रधान: बहब्रीहिः’- इस समास में पूर्व तथा उत्तर पदों की प्रधानता न होकर किसी अन्य पद की प्रधानता होती है।

यथा-

पीताम्बरः  पीतम् अम्बरम् यस्य सः (विष्णुः)। यहाँ न तो पीतम् शब्द की प्रधानता है और न अम्बरम् शब्द की अपितु पीताम्बरधारी किसी अन्य व्यक्ति (विष्णु) की  प्रधानता है।
नीलकण्ठः  नीलः कण्ठः यस्य सः (शिवः)।
दशाननः  दश आननानि यस्य सः (रावणः)।
अनेककोटिसारः अनेककोटि: सारः (धनम्) यस्य सः।
विगलितसमृद्धिम् विगलिता समृद्धिः यस्य तम् (पुरुषम्)।
प्रक्षालितपादम् प्रक्षालितौ पादौ यस्य तम् (जनम्)।

(4) द्वंद्व-‘उभयपदप्रधान: द्वन्द्वः’- इस समास में पूर्वपद और उत्तरपद दोनों की समान रूप से प्रधानता होती है। पदों के बीच में ‘च’ का प्रयोग विग्रह में होता है।

यथा-

रामलक्ष्मणौ रामश्च लक्ष्मणश्च।
पितरौ  माता च पिता च।
धर्मार्थकाममोक्षाः   धर्मश्च, अर्थश्च, कामश्च, मोक्षश्च ।
वसन्तग्रीष्मशिशिराः वसन्तश्च ग्रीष्मश्च शिशिरश्च।

अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तराणि Sanskrit Class 10 Chapter 1

भावार्थ-लेखनम्

प्रश्न 1. अधोलिखितपद्यानां संस्कृते भावार्थं लिखत

(1) NCERT Solutions for Class 10 Sanskrit Chapter 1

दुर्वहमत्र जीवितं जातं ………………………… जनग्रसनम्॥

उत्तरम्- भावार्थ:-

कविः कथयति यत् अस्मिन् संसारे पर्यावरणप्रदूषणात् जीवनम् अतीव दुष्करम् अभवत् । प्रकृतिः एव शरणं वर्तते। कथमपि अस्माकं पर्यावरणं शयं स्यात। महानगरेष अहोरात्र चलत लोहचक्रम् मनः । शुष्काकुवत् शरीर पिष्टीकुर्वत सदेव कुटिल धमति। अस्य भयरः दन्तः कथमपि जनानां विनाशं नैव भवेत् ।।

(2) NCERT Solutions for Class 10 Sanskrit Chapter 1

कज्जलमलिनं धूम ……………………………. ” कठिनं संसरणम्॥

उत्तरम्- भावार्थ:-

कविः कथयति यत् अधुना महानगरेष शतशः शकटीयानानि कज्जलसदृशं मलिनं वाष्पं त्यजन्ति । वाष्पयानानां पंक्तिः कोलाहलं कुर्वन्ती तीव्रगत्या धावति । वस्तुतः अत्र असंख्या यानानां पंक्तयः सन्ति, अनेन सञ्चलनं कठिनं जातम्।

(3) NCERT Solutions for Class 10 Sanskrit Chapter 1

वायुमण्डलं भृशं …………………………. “बहु शुद्धीकरणम्॥

उत्तरम्- भावार्थ:-

कविः कथयति यत् अधुना प्रदूषणेन वातावरणम् अत्यधिक प्रदूषितं जातम् । जलमपि स्वच्छं नास्ति। खाद्यपदार्थ प्रदूषितपदाथैः समन्वितं वर्तते । पृथ्वीतलं मलयुक्तम् अस्ति। वस्तुतः मानवजीवनाय संसारे बाह्यतः आन्तरिकं च अत्यधिकं शुद्ध कर्तव्यम्।

(4) NCERT Solutions for Class 10 Sanskrit Chapter 1

कञ्चित् कालं नय”  ………………………………….. “स्यात् सञ्चरणम्।

उत्तरम्- भावार्थ:-

कविः महानगराणां प्रदूषितं वातावरणं दृष्ट्वा कामना करोति यत् मानसिकशान्तये कञ्चित् समयपर्यन्तं माम् अस्मात् नगरात् अतिदूरं नयत्। ग्रामस्य सीमायाम् अहं जलेन परिपूर्ण (जलाशयं), प्रपातं सरितां च द्रष्टुम् इच्छामि। वस्तुतः अहं शुद्धपर्यावरणप्राप्तये एकान्तवनप्रदेशे अल्पकालमपि विचरणं कर्तुम् इच्छामि।

(5) NCERT Solutions for Class 10 Sanskrit Chapter 1

प्रस्तरतले लतातरुगुल्मा ………………………. “नो जीवन्मरणम्॥

उत्तरम्- भावार्थ:-

कविः कथयति यत् अद्य लताः, तरवः, गुल्माश्च नष्टाः न शिलातले दमिता न स्युः। कदाचित् प्रस्तरयुगस्य सभ्यतायाः प्रकृती समावेशः न स्यात्। अद्य तेन पाशविकप्रकृतेः प्रसारं भवति, येन मानवजीवनं कठिनं जातम्। अत एवाहं मानवकल्याणाय सर्वेषां जीवनस्य कामनां करोमि, न तु तेषां मरणस्य।

(6) NCERT Solutions for Class 10 Sanskrit Chapter 1

अयि चल बन्धो!”  ……………………………… जीवितरसहरणम्॥

उत्तरम्- भावार्थ:-

कविः कथयति यत् हे बन्धो! पक्षिसमूहस्य कलरवेण गुञ्जायमानम् अरण्यप्रदेशं प्रति गच्छ। अधुना नगरस्य कोलाहलेन भ्रमित-जनानां कृते भवान् सुखस्य सन्देशं प्रयच्छतु। इदं कृत्रिमं प्रभावपूर्ण जगत् अस्माकं जीवनस्य सुखस्वरूपरसस्य हरणं न कुर्यात् । अर्थात् पर्यावरणप्रदूषणेन मानसिकशान्तिः नष्टा भवति, एतदर्थ पर्यावरणं शुद्ध भवेत्।

संस्कृतमाध्यमेन प्रश्नोत्तराणि Class 10 Sanskrit Chapter 1

प्रश्न 1. एकपदेन उत्तरत-

(i) किं शुचिः स्यात्?

उत्तरम्- पर्यावरणम्।

(ii) शतशकटीयानं कीदृशं धूम मुञ्चति?

उत्तरम्- कज्जलमलिनम्।

(iii) ध्वानं वितरन्ती का संधावति?

उत्तरम्- वाष्पयानमाला।

(iv) अद्य महानगरेषु संसरणं कीदृशं जातम्?

उत्तरम्- कठिनम्।

(v) अद्य किं भृशं दूषितम् ?

उत्तरम्- वायुमण्डलम्।

(vi) अद्य धरातलं कीदृशं जातम्?

उत्तरम्- समलम्।

(vii) कविः कस्मात् बहुदूर नेतुं कथयति?

उत्तरम्- नगरात्।

(viii) का रसालं मिलिता?

उत्तरम्- नवमालिका।

(ix) अद्य प्रस्तरतले काः पिष्टाः दृश्यन्ते?

उत्तरम्- लतातरूगुल्माः।

(x) ‘शुचिपर्यावरणम्’ इति पाठस्य लेखकः कः?

उत्तरम- कविः हरिदत्तशर्मा।

प्रश्न 2. पूर्णवाक्येन उत्तरत- 

(i) ‘शुचिपर्यावरणम्’ इति पाठः कुतः सङ्कलितोऽस्ति?

उत्तरम्- ‘शुचिपर्यावरणम्’ इति पाठः आधुनिकसंस्कृतकये; हरिदत्तशर्मणः ‘लमल्लतिका’ इति रचनासाग्रहात् सङ्कलितोऽस्ति।

(ii) अद्य महानगरेषु किं कुर्वन् सदा लौहचक्रं धमति?

उत्तरम्- अद्य महानगरेषु मनः शोषयत् तनुः पेषयद् च सदा लौहचक्रं प्रमति।

(iii) अद्य के: जनग्रसनं नैव स्यात?

उत्तरम्- अध अमुना प्रदूषणेन दुर्दान्तैर्दशनै: जनग्रसनं नैव स्यात् ।

(iv) प्रदूषणेन भक्ष्यं धरातलं च कीदृशं जातम्?

उत्तरम्- प्रदूषणेन भक्ष्यं कुत्सितवस्तुमिश्रितं धरातलं च समलं जातम् ।

(v) अद्य कुत्र बहु शुद्धीकरणं करणीयम् ?

उत्तरम्- अघ बहिरन्तर्जगति बहु शुद्धीकरणं करणीयम् ।

(vi) कविः ग्रामान्ते किं द्रष्टुम् इच्छति?

उत्तरम्- कविः ग्रामान्ते निर्झर नदी-पयःपुरं द्रष्टुम् इच्छति।

(vii) कत्र क्षणमपि सञ्चरणं लाभदायकं भवति?

उत्तरम्- एकान्ते कान्तारे प्राकृतिकवातावरणे वा क्षणमपि सञ्चरणं लाभदायकं भवति।

(viii) कवेः का वरणीया स्वात्?

उत्तरम्- कवेः समीरचालिता कुसुमावलिः वरणीया स्यात् ।

(ix) कविः केभ्यः सुखसन्देशं दातुं कथयति?

उत्तरम्- कविः पुर- कलरव-सम्भ्रमितजनेभ्यः सुखसन्देशं दातुं कथयति।

(x) पाषाणी सभ्यता कुत्र समाविष्टा: न स्यात् ?

उत्तरम्- पाषाणी सभ्यता निसर्ग समाविष्टाः न स्यात्।

(xi) कविः पाठेऽस्मिन् के प्रति चलितुं कथयति?

उत्तरम्- कविः पाठेऽस्मिन् खगकुलकलरवगुज्जितं वनप्रदेशं प्रति चलितुं कथयति।

(xii) ‘शुचिपर्यावरणम्’ इति पाठे कविः कस्मै जीवनं कामयते?

उत्तरम्- ‘शुचिपर्यावरणम्’ इति पाठे कविः मानवाय जीवनं कामयते।

III. अन्वय-लेखनम्

प्रश्न:- निम्नलिखितपद्यांशस्य अन्वयं मञ्जूषातः समुचितपदानि चित्वा पूरयत

(1) Class 10 Sanskrit Chapter 1 

दुर्वहमत्र जीवितं ………………………… ” जनग्रसनम्।।

अन्वयः

अत्र जीवितः (i) …………….. जातम, प्रकृतिः एव शरणम् । पर्यावरणं शुचि: स्यात् । महानगरमध्ये (ii) …………….  अनिशं चलत, मनः (iii)  …………. तनुः (iv)  ……………..सदा वक्र भ्रमति। अमुना दुर्दान्ते: दशनैः जनप्रसनं नैव स्यात्।

(मञ्जूषा)

शोषयत,  दुर्वहं,  पेषयद,  कालायसचक्रम्

उत्तरम्- (i) दुर्वह, (ii) कालायसचक्रम्, (iii)  शोषयत, (iv) पेषयद् ।

[नोट- दिए गए उत्तरों को रिक्त स्थानों में क्रमानुसार लिखकर परीक्षा में पूर्ण अन्वय ही लिखना चाहिए।]

प्रश्न:-अधोलिखितवाक्येषु रेखाड़ित-पदमाधृत्य प्रश्ननिर्माण करत-

संसारे जीवितं दुर्वहं जातम्।

महानगरमध्ये अनिशं कालायसचक्रं प्रचलति।

कालायसचक्रं तनुः पेषयद् सदा वक्र भ्रमति।

अमुना दुर्दान्तैः दशनैः जनग्रसनं नैव स्यात्।

वाष्पयानमाला ध्यानम् वितरन्ती संधावति।

महानगरमध्ये संसरणं कठिनं वर्तते?

प्रदूषणेन धरातलं समलं जातम्

भक्ष्यं कुत्सितवस्तुमिश्रितं वर्तते।

जगति बहुराद्धीकरणं करणीयम्।

माम् अस्मात् नगरात् बहुदूरं नय।

उत्तरम्- प्रश्ननिर्माणम्

संसारे किम् दुर्वहं जातम्?

कुत्र अनिशं कालायसचक्रं प्रचलति?

किम् तनुः पेषयद् सदा वक्रं भ्रमति?

अमुना दुर्दान्तैः दशनैः किम् नैव स्यात्?

वाष्पयानमाला किम् वितरन्ती संधावति?

महानगरमध्ये किम् कठिनं वर्तते?

प्रदूषणेन धरातलं कीदृशं जातम्?

किम् कुत्सितवस्तुमिश्रितं वर्तते?

जगति किम् करणीयम्?

माम् कस्मात् बहुदूरं नय?

Leave a Comment

error: Content is protected !!